भारत में सुषासन की अवधारणा और चुनौतियाँ
DOI:
https://doi.org/10.7492/tzrkg258Abstract
पन्द्रह अगस्त, 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रसिद्ध सम्बोधन ‘नियति से साक्षात्कार’ में जनप्रतिनिधियों और सेवियों के समक्ष इन शब्दों में उनके दायित्वो का उल्लेख किया था, ‘गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों को खत्म करने के लिए एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और प्रगतिषील राष्ट्र के निर्माण के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थान की रचना आवष्यक है, जो महिलाओं और पुरुषों के जीवन मे न्याय और परिपूर्णता सुनिष्चित करे।’ नेहरू जी के उपरोक्त विचार भारत में प्रषासन की अवधारणा को बल देते हैं। नेहरू जी के विचार भारत में प्रषासन की अवधारणा और उसकी चुनौतियों पर केंन्द्रित थे।
Published
2012-2024
Issue
Section
Articles
How to Cite
भारत में सुषासन की अवधारणा और चुनौतियाँ. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 11(2), 79-83. https://doi.org/10.7492/tzrkg258