आधुनिक बोध कीयथार्थअभिव्यक्ति: 'अन्धायुग'

Authors

  • डॉ नरेन्द्रपानेरी Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/2zv3br75

Abstract

अंधायुगधर्मवीर भारती रचितकाव्यनाटकमहाभारत के अट्ठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु के क्षण तक की घटनाओं पर आधारित है। डॉ. भारती अपने युग की संक्रांतिकालीन बेला के साक्षी रहे हैं। तत्कालीन परिस्थितियाँ जहाँ एक ओर युद्धजनित त्रासदियों की शिकार मानवता है, तो दूसरी ओर अंधकारमय वातावरण में भी जीवन के प्रति उत्कट भावप्रवणता। इस संधिकालीन समय में कवि भारती के मन में दुविधा,  संशय और भय के साथसाथ आस्था का स्वर भी अंकुरित होता है। कवि की  वैयक्तिक  सोच ,दृष्टि और दुनिया को देखने का नजरिया कविता की भावसंपदा बनती है।     जहाँ वे नवीन भाव और विचार बोध को जन्म तो देते हैं, 

परंतु संपूर्ण कृतित्व में आस्था और अनास्था का द्वंद्व निरंतर जारी रहता है। महाभारत का यह घटना-चक्र संपूर्ण  मानवता को संदेश देता है कि मूल्य-विहीन होने पर पतनशीलता  निश्चित है। 

Published

2012-2024

Issue

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Articles

How to Cite

आधुनिक बोध कीयथार्थअभिव्यक्ति: ’अन्धायुग’. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 12(1), 136-139. https://doi.org/10.7492/2zv3br75

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