कफज विकारों में यौगिक षट्कर्म (धौति क्रिया) व आयुर्वेदिक पंचकर्म (वमन कर्म)

Authors

  • डाॅ अरविन्द वैदवान गिरीष पाठक Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/9tffm218

Abstract

हठ योग प्रदीपिका के अनुसार, छह शुद्धिकरण प्रक्रियाएं (षटकर्म) हैं, अर्थात् धौति, बस्ती, नेति, त्राटक, नौली और कपाल भांति जो भौतिक शरीर को शुद्ध करती हैं और विशेष रूप से बढ़े हुए कफ और मेदो धातु की स्थिति की ओर संकेत करता हैं। बढ़े हुए कफ और मेदो धातु स्रोत में बाधा डालते हैं जो प्राण (महत्वपूर्ण ऊर्जा) के प्रवाह को बाधित करते हैं और योग अभ्यास, विशेष रूप से प्राणायाम करना मुश्किल होता है, इसलिए ये षट्कर्म आमतौर पर प्राणायाम का अभ्यास करने से पहले किए जाते हैं। धौति तकनीक पाचन तंत्र को सर्वोत्तम सम्ंभव काया-शोधन प्रदान करती है और अग्नि के कामकाज को नियंत्रित करती है, आम के गठन को रोकती है और कफ और मेद के संचय को कम करने में मदद करती है जिससे मोटापा, ब्रोन्कियल अस्थमा और अन्य श्वसन जैसी कफ खराब स्थितियों की रोकथाम होती है।

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

कफज विकारों में यौगिक षट्कर्म (धौति क्रिया) व आयुर्वेदिक पंचकर्म (वमन कर्म) . (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(6), 122-135. https://doi.org/10.7492/9tffm218

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