अलका सरावगी की कहानी में विकलांगचेतना की संवेदनात्मक अभिव्यव्क्ति

Authors

  • राधा गौतम Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/gpa97h97

Abstract

हिन्दी साहित्यमें अलका सरावगी का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। उनका साहित्यमानवीयसंवेदनाओं से पूर्ण है। उनका लेखन बाकी साहित्यकारों से अलग ही रहा है। उनके कहानी संग्रह भी परंपरा से हटकर लिखे गये है। इन्हें अपने पहले उपन्यास “कलि कथा वाया बाईपास’’ के लिएसाहित्यअकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। अलका सरावगी ने अपनी कहानियों में विकलांग व्यक्तियों के संघर्ष को चित्रित किया है। यह शोध पत्र उनकी कहानी “आपकी हंसी” तथा “दूसरी कहानी” में विकलांगचेतना को प्रस्तुत करेगा। इन कहानियों में शारीरिक तथा मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति की मानसिक स्थिति का वर्णन बड़े ही मार्मिक ढंगसे किया गया है। विकलांगता एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति की अवस्था को देखकर समाज के लोगउसे बेचारे जैसे शब्दों से सम्बोधित करते हैं वह शब्द उस व्यक्ति के लिए भावनात्मक तथा व्यंग्यपूर्णदोनों ही हो सकते हैं।

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

अलका सरावगी की कहानी में विकलांगचेतना की संवेदनात्मक अभिव्यव्क्ति. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741, 13(7), 116-123. https://doi.org/10.7492/gpa97h97

Share