मानव प्रस्तोता एवं मानव निर्मित (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) प्रस्तोता में तुलनात्मक अध्ययन

Authors

  • रीना दाधीच, डॉ लोकेश शर्मा, डॉ. मीनाक्षी दाधीच Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/1rnkng29

Abstract

टेलीविजन समाचार प्रस्तोता आज भी दर्शक एवं समाचार के बीच की योजक कड़ी हैं| प्रस्तोता के महत्व को  उस समय भी नकारा नहीं जा सकता था, जब भारत में डीडी चैनल ने 1965 में अपना पहला समाचार बुलेटिन शुरू किया| उस पांच  मिनिट के बुलेटिन की प्रस्तोता प्रतिमा पूरी थी| आज लगभग 6 दशक के बाद का वो दौर जब 24 घंटे समाचार दिखाने वाले चैनल की बाढ़ सी आ गई है इस दौर में भी प्रस्तोता के  महत्व और जिम्मेदारियों में बढ़ोतरी हुई हैं | वर्तमान में बड़ी संख्या में दर्शक कोंनसी खबर किस चैनल पर देखेंगे इसका चयन प्रस्तोता के आधार पर करते हैं| इसका बड़ा कारण हैं दर्शको का उन प्रस्तोता पर विश्वास और उनके समाचार प्रस्तुतिकरण की शैली | मीडिया में प्रस्तोता और समाचार प्रस्तुतीकरण से सम्बंधित नए नए प्रयोग होते रहे हैं| उन प्रयोगों के परिणामस्वरूप समाचार वाचक आज समाचार प्रस्तोता हैं| प्रयोगों के इस काल में लगभग एक साल पहले  30 मार्च को  भारत के एक निजी मीडिया समूह इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने पहले पूर्णकालिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) समाचार एंकर का अनावरण किया - सना नामक एक बॉट जो दिन में कई बार समाचार अपडेट प्रस्तुत करती हैं, यह समाचार प्रस्तुतिकरण का भारत में एक नया प्रयोग हैं | यह प्रयोग अपने साथ यह सवाल भी लाता  हैं कि क्या अब मानव समाचार प्रस्तोता की जगह एआई प्रस्तोता ले लेगा? चीन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) समाचार एंकर का प्रयोग 2018 में शुरू हो गया था और समय के साथ उसमे सुधार की प्रक्रिया गतिमान है| मीडिया उद्योग में नए प्रयोग एक लगातार होने वाली प्रक्रिया हैं | इस शोध पत्र में शोधकर्ता ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) समाचार एंकर के साथ मानव एंकर के वर्तमान एवं भविष्य का मंथन प्राथमिक समंक के द्वारा विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया हैं | इस पत्र में भारत में जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रस्तोता का प्रयोग दर्शक के साथ किया जा रहा हैं उसका आंकलन भी द्वितीयक समंक की सर्वेक्षण विधि द्वारा किया गया हैं | 

Published

2012-2024

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मानव प्रस्तोता एवं मानव निर्मित (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) प्रस्तोता में तुलनात्मक अध्ययन. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(9), 302-310. https://doi.org/10.7492/1rnkng29

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