प्रो० अभिराज राजेन्द्र मिश्र कृत ’नाट्यनवग्रहम्‘ नामक एकांकी संग्रह में सामाजिक चेतना
DOI:
https://doi.org/10.7492/fwtpaa26Abstract
‘संस्कृत साहित्याकाश में भास्कर सदृश भासित, साहित्य रसिक रूपी नक्षत्रसामाज को अपनी नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा से अनवरत स्फुरद्कर, विविध विधाओं रूपी ज्ञान रश्मियों से उद्भासित करने वाले, निसर्गतः रचनाधर्मी, त्रिविध विधाओं व त्रिविध भाषाओं में सिद्धहस्त, अतएव ‘त्रिवेणी’ उपाधि से विभूषित तथा परम वत्सला जननी ‘अभिराजी’ से प्रगाढ़ स्नेहवश ‘अभिराज’ नाम्ना साहित्य जगत में लयबद्ध प्रतिष्ठित, महाकवि प्रो० अभिराज राजेन्द्र मिश्र संस्कृत साहित्य जगत में अपने अभिनव प्रयोगों के साथ नव्यनूतन सर्जनाएँ उपनिबद्ध करते हुए माँ भारती के पावन भण्डार को सुसमृद्ध कर रहें हैं। साहित्य अनुरागियों द्वारा ‘अभिनव कालिदास’ की उपाधि से अलंकृत महाकवि संस्कृत साहित्य में ऐसे हस्ताक्षर हैं, जो अपनी लेखनी से अजस्र प्रवाहित सरलतम रचनाओं के माध्यम से राष्ट्र कल्याण हेतु संस्कृत का प्रचार-प्रसार करते हुए अन्य सर्जकों को भी अभिनव सर्जन हेतु प्रेरित कर रहें हैं।‘¹