शिक्षा का आधार साक्षरता

Authors

  • डाॅ0 अन्शु शर्मा डाॅ0 ललित कुमार आर्य प्रो0 जे0एस0 भारद्वाज Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/tz0j5d44

Abstract

साक्षरता विभिन्न माध्यमों से प्राप्त की जा सकती है, जिसमें स्व-अध्ययन और अनौपचारिक शिक्षा शामिल है, जबकि स्कूली शिक्षा सीखने के लिए एक व्यवस्थित और व्यापक दृष्टिकोण वाली औपचारिक व्यवस्था शिक्षा प्रदान करती है। जो महत्वपूर्ण सोच, समस्या-समाधान और जीवन में सफलता के लिए आवश्यक अन्य कौशल के विकास के लिए आवश्यक है। नागरिकों के बीच साक्षरता एवं शिक्षा को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने अनेक योजनायें प्रारम्भ की हैं, जैसे कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, मध्याह्न भोजन योजना और प्रारम्भिक स्तर पर बालिकाओं की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम। मानव विकास में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान आदिकाल से रहा है, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा द्वारा मानव का सर्वांगीण विकास करने का प्रयत्न किया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में शिक्षा द्वारा भारतीय जनतंत्र के लिए सुयोग्य नागरिकों को तैयार करने की दृष्टि से अनेक परिवर्तनों की रूपरेखा तैयार की गई है। अनेक आयोगों का गठन शिक्षा क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के अध्ययन के लिए तथा उनके निवारणार्थ कार्य किये गये। प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों के नामांकन की समस्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इसलिए सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत अन्य उद्देश्यों जिसमें शैक्षिक गुणवत्ता प्रमुख है। साक्षरता से विद्यार्थियों को अपने विचारों और भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में मदद मिलती है। क्या वर्तमान शिक्षा पद्धति से व्यक्तित्व विकास और देश समाज की उन्नति का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है? आज हमें ऐसे पाठयक्रम की जरूरत है, जो बच्चों में मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक, भावात्मक संवेदनशीलता और समानता को विकसित करे। क्या साक्षरता, शिक्षा का ढाँचागत आधार है? इन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयास इस शोध पत्र में किया गया है।

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

शिक्षा का आधार साक्षरता. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(4), 514-517. https://doi.org/10.7492/tz0j5d44

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