भारत में मतदान व्यवहार और उसको प्रभावित करने वाले तत्व

Authors

  • हरकेश मीणा डाॅ.बी.एस.राठौड़ Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/28cbkm52

Abstract

 व्यवहारवादी क्रान्ति के बाद लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में मतदान व्यवहार का प्रचलन बढ़ गया । एल्डर्सवेल्ड ने 1951 में पहली बार मतदान व्यवहार की अवधारणा का प्रतिपादन किया। जिसके अनुसार इसमें तीन तत्वों का अध्ययन किया जाना चाहिए जैैसे मतदान का परिणाम, मतदान का रुख तथा मतदान करने या नहीं करने के कौन से कारक प्रभावी होते हैं। स्वतंत्र भारत के शुरुआत के तीन-चार आम चुनावों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी चुनावों में मतदान का परिणाम और रुख व कारक बदलते रहे हैं। क्योकि मतदान व्यवहार प्रत्येक देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है व मतदाताओं का मतदान व्यवहार किसी देश की राजनीतिक दशा व दिशा तय करता और यही मतदान व्यवहार चुनाव लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की आत्मा होती है। मतदाता राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दो सहित अन्य कारकों से संचालित होकर समय-समय पर सरकार का निर्वाचन करते हैं। मतदान व्यवहार चुनावी व्यवहार का एक रूप है जो मतदाताओं के व्यवहार को समझने में सहायता करता है कि कैसे सार्वजनिक निर्णयकर्ताओ द्वारा निर्णय लिए गए। 

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

भारत में मतदान व्यवहार और उसको प्रभावित करने वाले तत्व . (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(6), 372-381. https://doi.org/10.7492/28cbkm52

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