समकालीन रचनाकारों में गीतांजलि श्री का स्थान

Authors

  • सारचिराग श्रीमाली, शोधार्थी, शोध-निर्देशक, डॉ०संजय कुमार जैन Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/8j04qj16

Abstract

'समकालीन' शब्द 'सम' उपसर्ग तथा 'कालीन' विशेषण के योग से बना है, 'सम' उपसर्ग का प्रयोग प्राय: 'एक ही' अथवा 'एक साथ' के अर्थ में होता है। 'कालीन' का अर्थ है 'काल में' अथवा 'समय में' अतः 'समकालीन' का सामान्य तथा शाब्दिक अर्थ 'एक ही समय में होना या रहने वाले के रूप में स्पष्ट होता है। 'मानक हिंदी कोश' में इसका अर्थ इस तरह से दिया गया है- 'जो उसी काल में या उस समय में जीवित थे अथवा वर्तमान रहा हो, जिसमें कुछ और विशिष्ट लोग भी रहे हों या फिर एक ही समय में रहने वाले हो ' जैसे महाराणा प्रताप अकबर के समकालीन थे। समकालीन शब्द का सामान्य अर्थ है कि एक ही समय में होने अथवा रहने वाले के रूप में स्पष्ट होना है। इसे साहित्यिक संदर्भ में एक ही कालखण्ड में घटित होने वाली घटना या उस समय की विशेषता या एक ही कालखण्ड में रहने वाले व्यक्तियों अथवा रचनाकारों के अर्थ में प्रस्तुत किया जा सकता है।

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

समकालीन रचनाकारों में गीतांजलि श्री का स्थान. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 12(4), 103-115. https://doi.org/10.7492/8j04qj16

Share