जलग्रहण कार्यक्रमों का आर्थिक व सामाजिक प्रभाव: बीकानेर तहसील के सन्दर्भ में।
DOI:
https://doi.org/10.7492/qvdqdj80Abstract
जल शब्द बहुत छोटा शब्द है, लेकिन इसके बिना प्रकृति व जीव जगत का संचालन संभव नहीं हो पाता है। वैदिक मान्यताओं के आधार पर पृथ्वी पर जीवन पाँच तत्वों अर्थात् जल, भूमि, हवा, अग्नि अथवा आकाश के सम्मिलित रूप से हुआ है। जिस जलाशय में केवल वर्षाकाल में जल रहता है, वह अग्नि स्त्रोत यज्ञ अर्थात् जिस जलाशय में वर्षा काल में जल रहता है, उसका भी यही फल है। हेमंत और शिशिर काल तक रहने वाला क्रमशः वाजपेय और अतिराम नामक यज्ञ का फल देता है। बसंतकाल तक टिकने वाला जल अश्वमेघ यज्ञ के समान फलदायक होता है। और जो जल ग्रीष्मकाल तक विद्यमान रहता है। वह राजसूय यज्ञ से भी अधिक फल प्रदान करता है। जल की इस जीवनदायी महŸाा ने ही इसे पवित्र स्वरूप का ज्ञान मनुष्य को कराया है। हमारे वैदिक धर्म में तो जल की पूजा की जाती है।