आचार्य वराहमिहिर द्वारा विरचित बृहत्संहिता में उत्पात विचार: एक समीक्षा

Authors

  • मंजु कुमारी डाॅ॰ रविप्रभात Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/5ae11q86

Abstract


आचार्य वराहमिहिर प्राचीन भारतीय ज्योतिष के महान् खगोलज्ञ एवं गणितज्ञ हुए हैं। इनके पिता आदित्यदास ज्योतिष के मूर्धन्य आचार्यों की श्रेणी में आते थे। उन्ही से ज्योतिष विद्या प्राप्त की। आचार्य वराहमिहिर द्वारा विरचित बृहत्संहिता एक विशालकाय ज्योतिषीय ग्रन्थ है। जिसमें 107 अध्यायों में विभक्त विषय वस्तु वर्णित है। यह ग्रन्थ त्रिस्कन्धों में संहिता श्रेणी के अन्र्तगत निर्दिष्ट है। जिसमें मानव जीवन के उपयोगी विविध विषयों का उल्लेख किया है। जिसमें नवाचार, शकुन, सम्वतसर, वास्तु रत्न-परीक्षण दकार्गलाध्याय, खगोल एवं भूगोल, वृक्षायुर्वेद सामुद्रिक शास्त्र, पशु लक्षण इत्यादि का वर्णन किया है।

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

आचार्य वराहमिहिर द्वारा विरचित बृहत्संहिता में उत्पात विचार: एक समीक्षा. (2025). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(12), 243-257. https://doi.org/10.7492/5ae11q86

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