रसायनशास्त्री आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे तथा स्वतंत्रता आंदोलन : विचार और प्रयास

Authors

  • सुयश मिश्रा Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/rw60r668

Abstract

आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे, भारत में आधुनिक रसायन शास्त्र के प्रेरक और प्रणेता रहे, वह रसायन शास्त्र के प्रथम भारतीय प्रवक्ता (प्रोफेसर) के साथ साथ उद्यमी तथा महान शिक्षाविद थे। उन्हें ‘नाइट्राइट्स का मास्टर‘ कहा जाता है। उन्हें रसायन शास्त्र  के अलाव भारतीय इतिहास से भी बड़ा प्रेम था। फलस्वरूप, इन्होंने 10-12 वर्षो तक गहरा अध्ययन कर हिंदू रसायन का इतिहास नामक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा, जिससे उनकी बड़ी प्रसिद्धि हुई। इस पुस्तक द्वारा प्राचीन भारत के अज्ञात, विशिष्ट रसायन विज्ञान की जानकारी देश और विदेश के वैज्ञानिकों को हुआ, जिन्होंने डॉ० राय की बहुत प्रशंसा की। यूरोप की कई भाषाओं में इस पुस्तक के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं तथा इसी पुस्तक के उपलक्ष्य में डरहम विश्वविद्यालय ने आपको डी.एस-सी. की सम्मानित उपाधि प्रदान की। एक रसायनशास्त्री के रूप में उनकी ख्याति विश्व विख्यात है परन्तु स्वाधीनता आंदोलन में उनके योगदान, जन सामान्य के बीच किए गए उनके कार्य तथा विज्ञान और उद्यम के अतिरिक्त उनके प्रयासों पर प्रायः कम दृष्टिपात किया गया है। प्रश्न यह भी जागृत होता है कि स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका क्या थी? क्या वह प्रत्यक्ष रूप में थी? अथवा शांत माध्यम से परोक्ष रूप में! आचार्य रे के प्रसिद्ध रसायनविद तथा श्रेष्ठ प्रोफेसर होते हुए भी सामाजिक सुधारों के प्रति उनके क्या विचार और प्रयास थे? प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से डॉ० रे द्वारा साम्राज्यवादी चरमोत्कर्ष के दौर में विज्ञान, रसायनों के प्रयोग और फार्मा प्रौद्योगिकी के देशज प्रयोगों के माध्यम से जन जागृति, समाज-सुधार और साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को समझने का एक सहज प्रयास किया गया है ।

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

रसायनशास्त्री आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे तथा स्वतंत्रता आंदोलन : विचार और प्रयास. (2025). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 14(1), 42-50. https://doi.org/10.7492/rw60r668

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