भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में असममित संघवाद का महत्त्व

Authors

  • मोनिका चोपड़ा and प्रोफेसर सुनीता तिवारी  Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/z4ky6h19

Abstract

भारत क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से अत्यधिक विशाल और बहुत अधिक विविधताओं से परिपूर्ण है। ऐसी स्थिति में भारत के लिए संघात्मक शासन व्यवस्था को ही अपनाना स्वभाविक था और भारतीय संविधान के द्वारा ऐसा ही किया गया। लेकिन भारत के संघीय शासन में एकात्मक शासन के कुछ लक्षणों को भी अपनाया गया है जिस कारण केंद्र सरकार के पास कुछ स्थितियों में अधिभावी शक्तियाँ है। इस व्यवस्था को अर्धसंघीय, असममित संघवाद के रूप में वर्णित किया जा सकता है।1भारत को असममित संघ की आवश्यकता है क्योंकि भारत में कई धर्मों और जातियों वाले लोग रहते हैं और असममिता संघ भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और बहुराष्ट्रीय देश के लिए आवश्यक है। भारतीय संविधान में एक मजबूत केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था की व्यवस्था की गई है। इस शोधपत्र का फोकस इस बात की जांच करना है कि भारत में असममित संघवाद का क्या महत्त्व है। यह भारतीय संघवाद की विशेष विशेषताओं की जांच करता है और राज्यों के बीच इसके वितरण का आकलन करता है। 

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में असममित संघवाद का महत्त्व. (2025). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(5), 220-226. https://doi.org/10.7492/z4ky6h19

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