अलका सरावगी के कथा साहित्य में स्त्री जीवन के विविध रूप
DOI:
https://doi.org/10.7492/2argt988Abstract
मेरे शोधपत्र का उद्देश्य अलका सरावगी की नारी की संवेदन के पति दृष्टि से तो है साथ ही साथ वर्तमान के साहित्य उपन्यास में नारी की स्थिति को जानना भी एक लक्ष्य है। उपन्यास साहित्य की एक विधा है। उपन्यास को आधुनिक महाकाव्य कहा गया है। उपन्यास में कई कहानियों, कई घटनाओं का सम्मिश्रण होता है। उपन्यास शब्द का अर्थ है किसी घटना एवं तथ्यों के जनता के समक्ष प्रस्तुत करना। उपन्यास मानव जीवन का समग्र चित्रण है, इसमें र्कइ प्रासंगिक कथाआो तथा घटनाओं का वर्णन रहता है। विद्यालय की कक्षायेँ समाज का ही एक प्रतिरूप होती है, उसी प्रकार एक साहित्यकार अथवा साहित्य लेखक अपने द्वारा लिखे गए लेखों एवं साहित्य के द्वारा समाज में लोगों के जीवन का यथार्थ एवं उनके जीवन की वास्तविकता उनके समक्ष प्रस्तुत करते है। वर्तमान हिंदी भाषा साहित्य ने मानव के जीवन को विविध रुपी बना दिया है। जिसमें उपन्यास, साहित्य एवं कविताओं/कहानियों को एक महत्वपूर्ण करक मन गया है। यह सभी विधायें गद्य का वर्तमान विक्षित रूप माना जा सकता है। वर्तमान गद्य प्रारूप में कथाओं, कहानियों, कथा-वस्तु, समाज का चरित्र चित्रण, व्यक्ति संवाद आदि में यथार्थ के साथ-साथ कल्पना को जोड़कर समाज के समुख आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। जिसमें मनुष्य जीवन के यथार्थ के साथ-साथ जीवन मूल्यों का यथार्थ चित्रण किया जाता है। भारतवर्ष के हिंदी साहित्यकारों ने अपने द्वारा रचित साहित्य में समाज, समाज में फैली कुरीतियाँ, व्यक्ति का जीवन, नारी का सम्मान एवं नारी के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, दुर्भावना, असमानता, नारी की भावनाओं एवं संवेदनाओं को कथा के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य किया है। वर्तमान में कई साहित्यकार किसी न किसी रूप में नारी की संवेदना, भावनाओ एवं नारी जीवन की समस्याओं का चित्रण अपने साहित्य में किया है। जिसमें २१ वि शताब्दी की महिला साहित्यकार अलका सरावगी का महत्वपूर्ण योगदान है। अलका सरावगी ने अपने कथा साहित्य में वर्तमान समय में नारी के जीवन का यथार्थ चित्रण कर नारी की पीड़ा, वेदना एवं संवेदना का यथार्थ चित्रण अपने साहित्य, मन के वेदना, घुटन, नारी शोषण, जीवन की त्रासदी एवं पीड़ित नारी की संवेदना के माध्यम से स्त्री को समाज में सशकता के साथ प्रस्तुत किया है। अलका सरावगी अपने साहित्य के माध्यम से नारी के चरित्रों को देशकाल की प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करने में सफल हुई है। अलका सरावगी के द्वारा रचित साहित्य समाज के समक्ष कई प्रकार के प्रश्नो को रखने का प्रयास करते है।