अशोक के अभिलेखों में कालगणना
DOI:
https://doi.org/10.7492/kapjb255Abstract
भारत में शासन करने वाले महान् सम्राटों में मौर्यवंशीय शासक अशोक की गणना अग्रतम की जाती है । अशोक मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का पौत्र एवं उसके उत्तराधिकारी पुत्र बिन्दुसार का पुत्र था जो मौर्य वंश का तृतीय व सर्वाधिक प्रतापी शासक हुआ । इतिहासविदों के द्वारा विविध उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर अशोक का शासनकाल 268-232 ई० पू० निर्धारित किया गया है । उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों को दो श्रेणियों में विभक्त किया जाता है । प्रथम श्रेणी के साक्ष्य शास्त्रीय हैं तथा अन्य श्रेणी के साक्ष्य पुरातात्त्विक हैं । शास्त्रीय साक्ष्यों के अन्तर्गत पुराण एवं बौद्ध ग्रंथ आते हैं जिनमें अशोक एवं मौर्य वंश का विस्तृत वर्णन है । विष्णु पुराण एवं दिव्यावदान आदि ग्रंथों के अनुसार अशोक का मौर्य वंश का उत्तराधिकारी बनना एक स्वाभाविक घटना नहीं थी । एतदर्थ उसे अपने पिता के पुत्रों अथवा अपने भाइयों से अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा । उसके पिता का देहावसान 272-73 ईसा पूर्व में होने के पश्चात् वह राजसिंहासन पर तो प्रतिष्ठापित हो गया था परन्तु उसका राज्याभिषेक होने में चतुर्वर्षों का समय लगा । अत एव अशोक का राज्याभिषेक उसके जीवन की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना थी जिसका माहात्म्य उसके द्वारा आदेशित एवम् उत्कीर्णित अभिलेखों में भी प्रतिबिम्बित होता है ।