भारत के नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • सत्येन्द्र सिंह Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/p2rfg725

Abstract

व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है जिसे दैनिक जीवन-यापन के लिए सरकार या निजी कम्पनियों या आपस में एक-दूसरे से सेवाएँ लेनी होती हैं। जैसे- बैंकिंग, टेलिकॉम, विवाह-सम्बंध, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाओं के लिए चाहे-अनचाहे सूचनाएँ साझा करनी पड़ती हैं। लोग चैटबॉट और टेक्नोलॉजी से अपने सारे काम करा लेना चाहते हैं। लेकिन इस टेक्नोलॉजी ने जहां एक तरफ आपकी लाइफ आसान बनाई है, वहीं ये अपने साथ एक मुसीबत भी लेकर आई है. डिजिटल फ्रॉड इसी टेक्नोलॉजी की सहायता से डीपफेक का इस्तेमाल कर लोगों की जेब ही नहीं काट रहे हैं बल्कि अनेकों अपराध कर रहें हैं। वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के तेजी से हो रहे विकास से सूचनाओं के दुरूपयोग की संभावना बनी हुई है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के0एस0 पुट्टास्वामी मामले में सर्वाेच्च न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत भारतीयों के पास निजता का संवैधानिक रूप से संरक्षित मौलिक अधिकार है। इस अधिकार को प्रदान करने हेतु भारतीय संसद ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 पारित किया जो कि देश में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर पहला क्रॉस-सेक्टोरल कानून है। 

Published

2012-2024

Issue

Section

Articles

How to Cite

भारत के नए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का विश्लेषणात्मक अध्ययन. (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 13(2), 953-964. https://doi.org/10.7492/p2rfg725

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