‘‘खिलाड़ियों के व्यक्तिव विकास में खेल की भूमिका ः एक अध्ययन’’
DOI:
https://doi.org/10.7492/tjnze227Abstract
खो-खो का इतिहास बहुत पुराना है, किन्तु यह अलग-अलग जनपदों व प्रांतों में मनोरंजन के लिये खेला जाता था। 20वीं शताब्दी तक इस खेल में कोई विशेष नियम नहीं था, अतः लोग अपनी सुविधानुसार नियम बनाकर खेलते थे। सन् 1914 में खो-खो खेल के विशेषज्ञों की पूणे के दक्कन जिमखाना क्लब में एक बैठक हुई, जिसमें सभी सदस्यों ने विभिन्न मतभेदों के बावजूद खो-खो खेल के विकास पर बल दिया। इसके पश्चात् सन् 1924 में बड़ौदा में दूसरी बैठक हुयी, खो-खो खेल के लिये कौशल परीक्षणों का निर्माण जिसमें अखिल महाराष्ट्र शारीरिक शिक्षण मंडल के तत्वाधान में खो-खो खेल के नियम को बनाया गया।
Published
2012-2024
Issue
Section
Articles
How to Cite
‘‘खिलाड़ियों के व्यक्तिव विकास में खेल की भूमिका ः एक अध्ययन’’ . (2024). Ajasraa ISSN 2278-3741 UGC CARE 1, 12(2), 224-228. https://doi.org/10.7492/tjnze227